निर्मला कर्ण “राष्ट्रीय साहित्य सम्मान” से रांची साहित्य महोत्सव में हुई सम्मानित

nirmala karn was awarded rastriya sahitya samman in ranchi
शुभम सौरभ
गिरिडीह। पी.आई .यू. ट्रस्ट द्वारा लगातार तीसरी साल आयोजित रांची साहित्य महोत्सव का भव्य आगाज 29 एवं 30 दिसम्बर 2021 को रांची में संपन्न हुआ। भारत के विरासत को समेटे अलग-अलग राज्यों के साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थित रही। इस महोत्सव में आ.ज.सू. के केंद्रीय उपाध्यक्ष व हुसैनाबाद के पूर्व विधायक शिव पूजन मेहता मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित रहे। उन्होंने साहित्य को समाज का अमूल्य निधि बताया। इसके अलावा आर. के. डी. एफ. विश्वविधालय के कुलपति डाँ. सुचितांशु चटर्जी, जे.एम.एम. की केंद्रीय महिला अध्यक्ष व वरिष्ठ सम्मानित साहित्यकार डॉ. महुआ माजी, कुलसचिव डॉ.अमित कुमार पांडेय, डीन एकेडमिक डॉ. राजीव कुमार विशिष्ट अतिथि के रुप में शामिल हुए। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता रांची साहित्य महोत्सव की आयोजक संस्था पी.आई. यू. ट्रस्ट गिरिडीह के उपाध्यक्ष डॉ. रन्धीर कुमार ने की। इस संस्था के संस्थापक डा. सुरेश का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन रुणा रश्मि ‘दीप्त’, डॉ. रजनी शर्मा चंदा इत्यादि ने किया । सरस्वती वंदना डॉ. सुरिंदर कौर नीलम की सुरम्य स्तुति से प्रारंभ हुआ। निर्मला कर्ण के पति स्व. जितेंद्र कुमार कर्ण की पुस्तक ”अग्निकुंड'” का विमोचन मुख्य अतिथि एवं निर्मला कर्ण के संयुक्त कर कमलों से किया गया। साथ ही “ग्लोबल साहित्य मंजरी’ सांझा काव्य संग्रह पुस्तक का लोकार्पण मुख्य अतिथि के द्वारा किया गया। इस महोत्सव के संस्थापक कवि डा. सुरेश ने कहा साहित्य के बिना राष्ट्र समृद्ध नहीं हो सकता और राष्ट्र को समृद्ध करना है तो संस्कृति , विरासत और साहित्य तीनों को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी हैं। अग्निकुण्ड की कथा वस्तु की विशेषता निर्मला कर्ण के शब्दों में- “पुराण प्रसिद्ध राजा ययाति और उनकी पत्नी दानव गुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी तथा दानव राज वृषपर्वा की पुत्री शर्मिष्ठाः जिसे अपने राज्य के हित के लिए देवयानी की दासी बनना पड़ा था l इन तीनों की त्रिकोणात्मक प्रेम कहानी है l साथ ही दानव गुरु शुक्राचार्य के श्राप से ययाति के वृद्ध हो जाने पर उसे सबसे कनिष्ठ पुत्र यदु के द्वारा अपना यौवन दान देने की कथा भी इसमें है वर्णित है l
 सम्मान की कड़ी में रांची साहित्य महोत्सव में “राष्ट्रीय साहित्य सम्मान” के लिए निर्मला कर्ण व डॉ. मीतू सिन्हा को स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।निर्मला कर्ण संघर्ष से उठकर आज कामयाबी की ओर अग्रसर हो रही हैं। इन्हें विभिन्न मंचों के द्वारा सम्मानित किया गया है ।वह कई आनलाईन/आफलाईन कार्यक्रम में शामिल होती रही हैं। झारखंड सरकार में महिला एवं बाल विकास सामाजिक सुरक्षा विभाग में बाल विकास परियोजना अधिकारी पद से सेवानिवृत्त होने के बाद स्वतंत्र लेखन – गद्य / पद्य महिन्दी एवँ मैथिली भाषा में विशेष रुचि रखते हैं। कई प्रकाशित रचनाएँ/कृति – साँझा संकलन साहित्य उर्मि ,कथार्चन, सृजन शर्मिष्ठा, वेदान्त। “मीमांसा” “कविता के प्रमुख हस्ताक्षर” एवं एकल कथा संग्रह- “कथा एक मासूम की” प्रकाशन में प्रक्रियाधीन है । मैथिलि e-पत्रिका “विदेह” “कर्ण प्रिय”,”कर्णामृत” एवँ कुछ अन्य पत्र पत्रिकाओं में रचना छपी है । हिन्दी पत्रिका “पलाश”, “आरोह अवरोह” एवँ अनेक ऑनलाइन प्रकाशन l प्रति लेख पत्रिका, चेतना किस्से कहानियां एवं कविताएं, रेल्म ऑफ पोयम्स जयदीप पत्रिका हिमालयन अपडेट्स हिलव्यू समाचार एवं अन्य कई ऑनलाइन पत्र-पत्रिकाओं में रचना प्रकाशन एवं पुरस्कार प्राप्त हुआ है ।ऑनलाइन पटल प्रतिलिपि पर 100 से अधिक रचनाएं प्रकाशित। विभिन्न साहित्यिक मंच के पदाधिकारी – महासचिव – राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मँच झारखण्ड , गीताश्री साहित्यिक संस्था की राँची महानगर प्रभारी, अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच की स्थाई सदस्य एवं उसके द्वारा सम्मान पत्र प्राप्त ,महिला काव्य मंच राँची की सदस्य हैं । सम्मान – मगसम द्वारा “मातो श्री” “गुरु आशीर्वाद” एवं कई अन्य सम्मान प्राप्त । गीता श्री साहित्यिक परिषद द्वारा तूलिका सम्मान एवँ प्रशस्ति पत्र प्राप्त l सारा सच एवं हमारी वाणी पत्रिका के द्वारा आयोजित “नेशनल टैलेंट अवार्ड” मे “तृतीय स्थान प्राप्त” नर्मदा प्रकाशन के द्वारा “काव्य रत्न सम्मान”, सृजन सारस्वत सम्मान” “सृजन श्री साहित्य सम्मान” प्राप्त विभिन्न संस्थाओं के द्वारा कई अन्य सम्मान प्राप्त l रांची साहित्यिक समारोह में साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त l “चेतना किस्से कहानियां कविताएं” ” रेल्म ऑफ़ पोयम्स” एवं कई अन्य ऑनलाइन – ऑफलाइन पत्रिकाओं के द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम,सर्वश्रेष्ठ,श्रेष्ठ,उत्तम एवं अन्य विभिन्न सम्मानित स्थान प्राप्त कर पुरस्कृत हुए। आर.एल.एफ़. के सह – संस्थापक व उपाध्यक्ष डॉ. रन्धीर कुमार ने सभी को शुभकामनाएं प्रेषित किया। सभी लोगों ने आर.एल.एफ़. को खूब सराहा और साहित्यकारो की उपस्थिति ने राँची को गौरवान्वित किया। पी. आई. यू. ट्रस्ट, गिरिडीह के अध्यक्ष शिक्षाविद दिनेश्वर वर्मा ने पुरी आयोजन दल की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा है की ऐसे आयोजन से ना केवल साहित्य का सृजन होता है अपितु देश निर्माण में सहायक होता है। राँची के सांसद श्री संजय सेठ जी जो अस्वस्थ होने के कारण से इस महोत्सव में पधार नहीं पाये उन्होंने इस महोत्सव के आयोजन हेतु संस्थापक एवं आयोजक समिति को शुभकामनाएं दी।पी.आई.यू. ट्रस्ट, गिरिडीह के उपाध्यक्ष डॉ. रणधीर कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ सभी आगंतुकों का हृदय से आभार प्रकट किया और कार्यक्रम समापन की घोषणा किया ।

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